Monday, June 14, 2010

मेरी चाहत

 

टिप्पणियों और चर्चाओं की उतनी चाह नहीं है मुझे जितनी चाह पाठक मिलने की है। टिप्पणियाँ मिल जाये तो बहुत अच्छी बात है, न भी मिले तो भी कोई बात नहीं। मेरे पोस्ट की चर्चा हो जाये तो खुशी होती है मुझे पर न हो तो कोई गम नहीं होता।

पर मैं लिखूँ और पढ़ने वाला न मिले तो बहुत दुःख होता है। बस पाठकों की चाहत रखता हूँ मैं। आखिर वह लिखना भी किस काम का जिसे कोई पढ़ने ना आये?

अपने ब्लोगर बन्धुओं को मैं पाठक नहीं बल्कि अपना स्वजन और हितचिन्तक समझता हूँ इसलिए मैं उन्हें अपने पाठकों की श्रेणी में नहीं रखता। वे लोग तो आयेंगे ही मुझे पढ़ने के लिये। और एग्रीगेटर्स से आये ट्रैफिक को भी मैं ट्रैफिक नहीं समझता क्योंकि एग्रीगेटर्स का इस्तेमाल अधिकतर हम ब्लोगर्स ही करते हैं, इन्टरनेट में आने वाले आम लोग नहीं।

अपने ब्लोग लेखन को मैं तभी सफल मानूँगा जब पाठक खोज कर मेरे ब्लोग में आयेंगे। और मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत जल्दी ही वह दिन आयेगा।

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